Dil Kee Girah Khol Dee
Description:
दुर्गाप्रसाद अग्रवाल हिन्दी के आलोचक और गद्यकार हैं। अपने छात्र जीवन से जिन हिन्दी विद्वानों का में पीछा करता रहा हूँ उनमें अग्रवाल सर भी हैं। मैं उन्हें एक आलोचक के रूप में जानता था लेकिन मेरे देखते देखते उनका एक यात्रा आख्यान छपकर आया-आँखन देखी। मुझे वह आख्यान अच्छा लगा और मैं उनसे इसरार करने लगा कि आपको नियमित लिखना चाहिए। यह भी संयोग रहा कि जल्दी ही उनका दूसरा यात्रा आख्यान भी आया। इसके बाद वे एक अखबार में साप्ताहिक संपादकीय लिखने लगे। अतिथि संपादकीय। उस संपादकीय को पढ़कर मुझे उत्साह होता और में देखता कि कैसे हमारे रोजमर्रा के देखे जाने मुद्दों को अग्रवाल साहब सहज, सरल और प्रभावी भाषा में निबंध जैसा रूप दे देते हैं। मैंने छात्र जीवन में अंग्रेजी के कुछ प्रसिद्ध निबंधकारों को पढ़ा है और मैं कह सकता हूँ कि सहजता निबंध की प्राण शक्ति है।