Punaragaman
Type: Hindi
Author: Dr. Ashutosh Guleri
Description:
'दवा - गोलियों के सहारे मनुष्य स्वास्थ्य खरीद रहा है जबकि प्रकृति से सामंजस्य बनाकर संघर्षमय जीवन व्यतीत करते हुए, उत्तरजीविता सीखने का हुनर भुलाया जा चुका है। शिक्षा पर सबका अधिकार बराबर हो, इसके लिए चणक ने मगधानंद से आमरण संघर्ष मोल ले लिया परंतु वर्तमान में व्याप्त शिक्षा-प्रणाली की अव्यावहारिकता पढ़े-लिखे अनपढ़ों की फौज खड़ी करने का हठ ठान बैठी है !समयांतर में बहुत कुछ बीत गया। मगध की धरती ने चणक का बलिदान ले लिया । विष्णु ने पढ़ाई पूरी की। शिक्षण पूरा होने के बाद वह लौट कर मगध आया। उसे आशा थी -मगध में कुछ बदलाव अवश्य घटित हुआ होगा। मगर अहंकारवश नन्द ने जिस प्रकार भरी सभा में तिरस्कृत करके उसे निष्कासित किया, नंद के साम्राज्य का अंत उसी दिन तय हो गया था नन्द को हटाए बिना अखंड भारत का स्वप्न पूरा नहीं हो सकता। युवा विष्णु के क़दमों में आज उसी संकल्प की दृढ़ता थी ।