पत्रों में विश्व साहित्य की अनमोल निधियां छिपी हुई हैं। जिन्होंने रिल्के के पत्र नए लेखकों के नाम,लेनिन के पत्र गोर्की के नाम, नेहरू के पत्र इंदिरा के नाम और अब्राहम लिंकन का पत्र अपने बच्चों के अध्यापक के नाम आदि अभी तक नहीं पढ़े हैं, वे साहित्य के एक अद्भुत-अनूठे और अनिर्वचनीय रस से वंचित रह गए हैं। दुर्भाग्य से चिट्ठियों का ज़माना चला गया। लेकिन उस जमाने की गर्माहट महसूस करने का माध्यम 'डाकिया डाक लाया' जैसी किताबें हैं। स्वयं प्रकाश के नाम लिखी गई इन चिट्ठियों में साहित्य, समाज, देश, दुनिया और संबंधों का ऐसा आख्यान है जो जीवन के प्रति आस्था बढ़ाता है। विख्यात आलोचक नामवर सिंह, कथाकार राजेंद्र यादव, कमलेश्वर, मन्नू भंडारी जैसे बड़े लेखकों की चिट्ठियां यहाँ पढ़ते हुए हम साहित्य की इस सबसे आत्मीय विधा की ऊंचाई महसूस कर सकते हैं।