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Samkaleen Kahanikar: Naya Vitan

Samkaleen Kahanikar: Naya Vitan

Mohankrishna Bohara

Rs. 700.00
हिंदी में कहानी आलोचना का सिलसिला बहुत पुराना नहीं है।  नयी कहानी आंदोलन के साथ हिंदी में कहानी आलोचना के क्षेत्र में भी गंभीरता आई।  मोहनकृष्ण बोहरा उन आलोचकों में अग्रणी हैं जिन्होंने लम्बे समय तक कहानी की व्यावहारिक आलोचना को अपना दायित्व समझा। उन्होंने जनसत्ता के लिए लगभग एक -डेढ़ दशक तक नियमित कहानी, उपन्यास और अन्य गद्य विधाओं पर निरंतर लिखा। कहानी सम्बन्धी उनका यह लेखन न केवल कहानी के पाठकों के लिए उपयोगी एवं रोचक है अपितु कहानी के शोधार्थियों, अध्यापकों और स्वयं कथाकारों के लिए भी इसका महत्त्व असंदिग्ध है।  इस पुस्तक में वे नयी कहानी के प्रमुख लेखकों कमलेश्वर, राजेंद्र यादव, अमरकांत के कहानी अवदान का अवगाहन करते हैं तो जनवादी दौर के कथाकारों स्वयं प्रकाश,अरुण प्रकाश और उदय प्रकाश पर भी उनका अध्ययन यहाँ देखा जा सकता है। स्त्री कथाकारों और राजस्थान की हिंदी कहानी पर स्वतंत्र समीक्षा आलेखों में भी उपयोगी सामग्री है जो इस अध्ययन को पूर्णता देने वाली है। कुछ पुरानी,चर्चित और महत्त्वपूर्ण कहानियों का स्वतंत्र विवेचन - पुन:पाठ इस किताब का अतिरिक्त आकर्षण है। कहना न होगा कि विगत दो दशकों के कहानी परिदृश्य पर यह पुस्तक एक मुकम्मल अध्ययन प्रस्तुत करती है जो निश्चय ही एक अभाव की पूर्ति करने वाला है। 
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