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Bhartiya Cinema: Varjana se Vimarsh Tak
Type: Hindi
Author: Rachna Singh
Description:
हिंदी में सिनेमा पर गंभीर विमर्श अब समय की मांग है। हिंदी सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहा अपितु वह समाज विमर्श का विषय बन चुका है। ऐसे में डॉ रचना सिंह के सम्पादन में आई कृति 'भारतीय सिनेमा : वर्जना से विमर्श तक' एक अभाव की पूर्ति करती है जिसमें गुलजार, शरद दत्त, अजय ब्रह्मात्मज, जवरीमल्ल पारख, यतीन्द्र मिश्र, मिहिर पंड्या जैसे सिनेमा के पारखी हैं तो अनेक युवा अध्येता भी। डॉ रचना सिंह की यह किताब हिंदी में सिनेमा विषयक उन अध्ययनों में अग्रणी है जो स्त्री, दलित, आदिवासी जैसे विषयों तक अपने को सीमित न रखकर व्यापक आयामों तक बहस -मुबाहिसे की जगह तलाश करती है। कुछ युवा सिनेकारों की लेखन और संवाद इसमें हैं जो इधर आ रहे बदलावों के सम्बन्ध में अपना पक्ष रखते हैं। सिनेमा का साहित्य के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन तथा सिनेमा के संगीत का मूल्यांकन इस किताब को रोचक बनाता है। हिंदी जगत के अनेक जाने माने लोगों से की गई परिचर्चा किताब को मूल्यवान बनाती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वर्जनाओं को तोड़ने और गंभीर विमर्श का वातावरण बनाने में इस किताब को निश्चय ही पाठक पसंद करेंगे।Other fine products
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