Mahila Suraksha@75 Varsh
Description:
स्त्री को प्रत्येक काल खंड में बंधक रखने और बंधन में रहने के लिए धर्म सम्मत शास्त्र रचे गए, परंपराएँ बनाई गई और संबंधों के परिमाण में शील और कर्तव्य के दायरे रचे गए। आदर्श स्त्री की परिकल्पना चाहे वैदिक युगीन हो अथवा उत्तर-आधुनिक, हमेशा ही पुरुषवादी समाज के लिए चुनी गई। आधुनिक नवउदारवादी अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक मूल्यों ने भी स्त्रीत्व को देह घरे का दंड ही माना। इसके लिए फिर उसने विश्व सुंदरी प्रतियोगिताएँ आयोजित की और स्त्री केंद्रित साहित्य और सिनेमा को आलोचकों से अनुशंसा तो दिलाई, पर उसे 'मुख्यधारा' से परे ही रखा। विज्ञापनों की दुनिया में भी स्त्री केंद्र में रही। स्त्री के लिए उपयोगकारी वस्तुओं के विज्ञापनों में भी स्त्री मात्र देह की तरह दर्शायी जाती है। ऐसे समय में स्त्री की मुक्ति-गाया और स्त्री विशुद्ध स्त्री बने की परिकल्पना बड़ी जीवटता का मामला है।