
Aalochna Ke Naye Kshitij
Madhav Hada
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आलोचक और अकादमिक माधव हाड़ा की दिलचस्पी का क्षेत्र मध्यकालीन साहित्य और इतिहास है। उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य, मीडिया और संस्कृति पर भी लिखा है। उनकी चर्चित कृति 'पचरंग चोला पहर सखी री' (2015) मध्ययुगीन संत-भक्त कवयित्री मीरांबाई के जीवन और समाज पर एकाग्र है, जिसका अंग्रेज्ती अनुवाद 'मीरां वर्सेज मीरां' 2020 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो वर्षीय अध्येतावृत्ति के अंतर्गत (2019-2021) 'पदमिनी विषयक देशज ऐतिहासिक कथा-काव्य का विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर शोध कार्य किया, जो 'पद्मिनी: इतिहास और कथा-काव्य की जुगलबंदी' (2023) नाम से प्रकाशित हुआ है। हाल ही में उन्होंने 'कालजयी कवि और उनका काव्य' नामक एक पुस्तक श्रृंखला का संपादन किया है, जिसमें कबीर, रैदास, मीरां, तुलसीदास, अमीर खुसरो, सूरदास, बुल्लेशाह, गुरु नानक, जायसी, रहीम, सहजोबाई, लालन फ़क़ीर, ललद्यद, अक्क महादेवी, दादू दयाल, रसखान और नामदेव शामिल हैं।
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