वैदिक काल से संस्कृत साहित्य में भारतीय राजनीति की संकल्पना तथा लक्ष्य के बारे में संदर्भ सर्वत्र निरंतर मिलते रहे । तथापि, पूरी तरह केवल राजनीति के लिए समर्पित ग्रंथ के रूप में हम कौटिल्य के अर्थशास्त्र को ही देख सकते हैं । अर्थशास्त्र का चिंतन–अध्ययन भारत में प्रत्येक काल में निश्चित रूप से हो रहा था । उससे संबंधित सारे संदर्भ प्रस्तुत पुस्तक के ‘अर्थशास्त्र परंपरा’ अध्याय में लेखिका डॉ– आसावरी बापट ने पूरी अध्ययनशीलता से दिए हैं ।