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Kyon

Kyon

Dr. Nanditesh Nilay

Rs. 499.00

यूनानी दार्शनिक सुकरात हमेशा मानते थे कि शिक्षण का सबसे अच्छा तरीका सही सवाल पूछना होता है। यह हमारी तर्क करने की क्षमता को दर्शाता है, साथ ही हमारी रचनात्मकता को भी बढ़ाता है। क्यों शीर्षक पुस्तक के नायक का नाम 'क्यों' है। एक ऐसा उत्साही लड़का जो अपने माता-पिता से हमेशा सवाल पूछता रहता है और उसके प्रश्न मौलिक भी होते हैं। अपने सवालों को प्रायः वह दोहराता रहता है। वह पूछता है, "यह दुनिया ग़रीब और अमीर में क्यों बँटी हुई है? आख़िर ग़रीब होने का अर्थ होता क्या है? ग़रीब हमेशा गरीब ही क्यों रह जाते हैं? अमीरों को शिक्षित और ग़रीबों को अनपढ़ क्यों कहा जाता है?" जैसे-जैसे यह उपन्यास आगे बढ़ता है, 'क्यों' के सवाल गहरे और प्रासंगिक हो जाते हैं। वह फिर पूछता है, "हम अपने पर्यावरण को प्रदूषित क्यों रखते हैं? पुरुषों और महिलाओं के साथ अलग-अलग व्यवहार क्यों किया जाता है?" उसके माता-पिता उसकी इस आदत और उसके बार-बार पूछे जाने वाले सवालों से बहुत चिंतित रहते हैं। एक ऐसे गाँव में जहाँ अधिकतर लोग अनपढ़ ही हैं, वहाँ उसके माता-पिता के अलावा कोई भी उसके सवालों का जवाब नहीं दे पाता। उसके माता-पिता कई बार उसके प्रश्नों को सुनकर कुछ उत्तर भी देना चाहते हैं लेकिन आखिरकार उनकी भी अपनी सीमाएँ हैं। वे करें भी तो क्या करें! और उधर 'क्यों' के प्रश्न दिनों-दिन दुरूह होते जा रहे थे।

Details
  • HIN- Hindi
  • Hardcover
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