भूमध्य रेखा के पास पड़ने के कारण भारत में हवा ज्यादा नहीं चलती। ऐसे में पवन ऊर्जा के लिए यहाँ गुंजाइश कम है। ध्यान रहे, पवन ऊर्जा बड़े पूँजी निवेश की माँग करती है और एक पवन चक्की औसतन अपनी क्षमता की साढ़े आठ फीसदी बिजली ही पैदा कर पाती है। भारत में अभी इन्हें ज्यादातर सागर तटीय इलाकों में आजमाया जा रहा है, हालाँकि समुद्र में पवन चक्कियाँ लगाए जाने के साथ इस क्षेत्र में हमारी उम्मीद भी बढ़ रही है। सौर ऊर्जा के लिए हमारे यहाँ ज्यादा संभावना मौजूद है लेकिन इसकी 40 मेगावाट क्षमता एक किलोमीटर लंबी और इतनी ही चौड़ी जमीन माँगती है, जिसमें एक बड़ा गाँव अपनी खेती-बाड़ी समेत आराम से बस सकता है। जाहिर है, राजस्थान, गुजरात और मध्य-दक्षिण भारत के कुछ पठारी इलाकों को छोड़ दें तो हमारे देश के बाकी राज्यों में सोलर सेलों की फसल जमीन के बजाय छतों पर लहलहाती हुई ही अच्छी लगेगी।