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Preet Pasare Pankh

Preet Pasare Pankh

Laxminarayan Nandwana

Rs. 260.00

प्रीत पसारे पंख उनका मौलिक उपन्यास है जो संस्कृत के महान कवि पंडितराज जगन्नाथ के जीवन पर आधारित है। पंडितराज जगन्नाथ बड़े काव्यशास्त्री थे और सम्राट जहाँगीर के दरबार में राजकवि थे। शाहजहाँ ने ही उन्हें 'पंडितराज' की उपाधि (सार्वभौम श्री शाहजहाँ प्रसादाधिगतपंडितराज पदवीविराजितेन) से सम्मानित किया था। वे भारतीय संस्कृति के विद्वान दाराशिकोह के परम मित्र थे। उनका प्रेम एक राजनर्तकी से हुआ और उससे उन्होंने गंधर्व विवाह किया। मुगल काल की समृद्ध झलक पंडितराज जगन्नाथ पर लिखे गए इस उपन्यास में देखी जा सकती है। डॉ. नन्दवाना ने इसे अत्यंत प्रवाही और प्रांजल भाषा में लिखा है जिसका आस्वाद सभी पाठक ले सकेंगे। जैसा मनीषी कह गए हैं कि प्रेमकथाओं के भला कोई चार पाँच अंत होते हैं? यह प्रेमकथा भी अपनी मार्मिकता में अविस्मरणीय है। इस रमणीय कथा की सामाजिक विसंगतियाँ आज भी हमारे लिए चुनौती की तरह खड़ी हुई हैं। प्रेम विवाह और अंतर्धार्मिक विवाह जैसे अभी भी दूर की बात लगते हैं। दक्षिणात्य पंडितराज जैसे ज्ञानी और शास्त्री ने उत्तर भारत की एक वेश्यापुत्री से प्रेम किया और विवाह कर अपने प्रेम को पूर्णता भी दी। डॉ. नन्दवाना ने ऐसी कठिन प्रेम कथा को फिर पुनर्नवा किया है जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

 

Details
  • HIN- Hindi
  • Paperback
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