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Gitanjali

Gitanjali

Ravindranath Tagore

Rs. 250.00
भारतीय साहित्य और संस्कृति के आकाश में रवीन्द्रनाथ ठाकुर एक ऐसे ध्रुवतारा हैं, जिनकी आभा समय और सीमाओं से परे है। 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोड़ासांको नामक स्थान पर जन्मे ठाकुर एक समृद्ध, शिक्षित और सांस्कृतिक रूप से प्रबुद्ध परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर न केवल ब्रह्म समाज के अग्रणी नेता थे, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के कट्टर विरोधी भी थे। इसी वैचारिक वातावरण में पले रवीन्द्रनाथ की संवेदना, विचार और अभिव्यक्ति की शक्ति ने प्रारंभ से ही एक स्वतंत्र और व्यापक दृष्टिकोण को जन्म दिया। वे केवल एक कवि नहीं थे-वे दार्शनिक, संगीतकार, चित्रकार, समाज-सुधारक और शिक्षा-दर्शन के प्रणेता भी थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा का वैश्विक स्वरूप तब सामने आया जब उन्होंने अपनी कविताओं का अंग्रेजी में स्वयं अनुवाद किया और गीतांजलि नामक पुस्तक के रूप में उन्हें प्रस्तुत किया। यह केवल शब्दों का अनुवाद नहीं था-यह भारतीय आत्मा का पश्चिमी चेतना से संवाद था। गीतांजलि की गूढ़ आध्यात्मिकता, सूक्ष्म सौंदर्यबोध और ब्रह्मांडीय प्रेम ने समूचे विश्व को प्रभावित किया। वर्ष 1913 में जब उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला, तो वे न केवल भारत के लिए, बल्कि समूचे एशिया के लिए भी यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले साहित्यकार बने। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि से नवाज़ा, लेकिन गुरुदेव की आत्मा सत्ता से अधिक सत्य को महत्त्व देती थी-जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में उन्होंने यह उपाधि लौटा दी। यह घटना उनकी नैतिक निष्ठा और रचनात्मक प्रतिरोध का अप्रतिम उदाहरण बन गई। रवीन्द्रनाथ ठाकुर का रचना-संसार अद्वितीय है-उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, गीत, निबंध और चित्रकला में समान गति से साधना की। उनकी भाषा में जहाँ एक ओर भारतीय दर्शन की गहराई है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक चेतना का उजास भी। उन्होंने केवल भारत को ही नहीं, समूची मानवता को आत्मा की शांति, प्रकृति के साथ एकत्व और करुणा की शक्ति का पाठ पढ़ाया। 7 अगस्त, 1941 को जब उन्होंने देह त्यागा, तब तक वे 'गुरुदेव', 'विश्वकवि', और 'राष्ट्रगायक' जैसे नामों से विभूषित हो चुके थे। लेकिन इन उपाधियों से परे, वे एक ऐसे सर्जक थे, जिनकी कविताओं की ध्वनि आज भी विश्व के कोने-कोने में गूंजती है-आत्मा की भाषा बनकर।
Details
  • HIN- Hindi
  • Paperback
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