
Nariwad Ka Vikas Kram: Ek Darshnik Vishleshan
Description:
नारीवादी विचारधारा के अंतर्गत सदियों से समाज में स्त्री-पुरुष समानता के प्रश्न उभरते रहे हैं। स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में सदैव द्वितीय स्थान ही प्राप्त रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह समाज में प्रचलित पितृसत्तात्मक व्यवस्था है। किन्तु आज नारीवाद का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत हो चुका है। नारियों से जुड़ा होने के कारण यह वर्तमान समय में प्रासंगिक है। नारीवाद एक प्रायसरत सिद्धांत है जो हर स्तर पर असमानता का विरोध करता है। नारीवाद के विकास क्रम के दार्शनिक विश्लेषण को प्रस्तुत करने का मेरा उद्देश्य वर्तमान काल के नारीवाद की विशेषता एवं महत्ता को उजागर करना है। मैंने अपनी पुस्तक में नारी के बढ़ते कदम को दार्शनिक दृष्टिकोण से उजागर करने की कोशिश की है, जिससे वर्तमान नारी समाज, नारीवादी आंदोलनों से प्रेरणा लेकर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सके।